कविता:-ख़ौफ़ नही है दुःशासन में
ख़ौफ़ नही है दुःशासन में
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लो शुरु हो गई फिर जंग,
नये धृतराष्ट्र के शासन में।
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लगी है आग चारो ओर,
प्रजा त्रस्त है कुशासन में।
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नारी निर्वस्त्र किऐ जा रही है,
हाकिम बैठा, मौन मुद्रासन में।
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बदल गयी है राजसभा,
बदल गये किरदार प्रशासन में।
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जालिम जिस्म नौच रहे है देखो,
कोई ख़ौफ नही है दुःशासन में।
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तुम कहाँ हो कृष्ण,आ कर देखो?,
लज्जित नारी बैठी मरणासन्न में।
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शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”