कविता (कोरोना )
कोरोना तुम कहां छुपे हो, छुपकर वार करते हो।
दिखलाई क्यों नही देते हो, सम्मुख आने से डरते हो।
क्यों रूप धरा इतना छोटा, कोई देख सके ना तुमको। वीर तभी समझेगे जब ,सम्मुख दी खो हमको।
युध्द अनेकों हुऐ जगत में ,आमने सामने लडे़ गये।
चुपके से तू आया, हम तेरे हाथों छले गये।
लेकिन हमारे साइंस दानो ने, चेहरा तेरा बे नकाब किया। तुझको मार गिराने का ,हथियार नया तैयार किया।
अपने आप चला जा , वरना ऐसी मार लगायेगें।
बेहोशी से कभी न उबरो ,हम निडर हो जायेगें।