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12 Jan 2017 · 1 min read

***** कविता कोई लिखूं क्या मैं *****

एवज में इस खालीपन के
भूल चुका मैं अपना निजपन
समय के खाली हाथों में
रहने दो यह विरह वेदना
हृदय के बंद कपाटों में
रहने दो आग्रह प्रेमपूर्ण
शब्द कहां से लाऊंगा मैं
इन कौतुकपूर्ण बातों का मैं
वाक्य बना पाऊंगा कैसे
ढह जायेगी दीवार रहस्यमय
जब विरह सरिता बहाऊंगा मैं
ढुलकाओगे लवणयुक्त अश्रु
खारापन ही लाओगे तुम
याद मुझे दिलाते क्यों हो
रीतेपन का विरह -वियोग
कविता कोई लिखूं क्या मैं
एवज में इस सूनेपन के ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
417 Views
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