कविताएं
ख्वाबों ख्यालों में रात गुजर गई ।
मुश्किल सवालों में रात गुजर गई ।।
उन्नींदे सपनों अधूरी चाहतों और ।
मोह के जालों में रात गुजर गई ।।
न मरहम हुआ न दवा कोई ।
रिसते हुए छालों में रात गुजर गई।।
तमाम उम्र खुशियों के भरम में।
आंसुओं के प्यालों में रात गुजर गई।।
कैसी बज़्म थी कि सहर तक उठ न पाए ।
दुश्मन की चालों में रात गुजर गई ।।
नज़्मों ग़ज़लें मुहब्बत के नाम की ।
ढूंढते हुए रिसालों में रात गुजर गई ।।
कभी पाक मोहब्बत को यारा बदनाम न कर ।।
दो रूह न मिल पाएं ऐसा कोई काम न कर ।।
कभी गैर नहीं होते अपनों के जैसे सुन ।
गैरों की महफिल में कभी जाकर जाम न भर ।।
जो चलते रहते हैं वही मंजिल पाते हैं ।
कभी बैठ के रस्ते में यारा यूं शाम न कर ।।
यह प्यार मोहब्बत तो सब रूह के सौदे हैं ।
इन रूह के सौदों का यारा तू दाम न कर ।।
जो छोड़ दें रस्ते में वो अपने नहीं होते।
उस बिछड़न के गम में खुद को नाकाम न कर ।।
कभी गर याद आऊं तो , ख्वाबों में बुला लेना ।
जो गालों पे लुढ़क आऊं, दुपट्टे से छुपा लेना ।।
चाहत की महक से जब तुम्हारी बज़्म महके तो ।
जो गहरी रात उतर आए तो शमां को बुझा देना ।।
कभी आए कोई तूफां अगर राहे मोहब्बत में ।
कसम तुमको मोहब्बत की अना मेरी बचा लेना।।
तन्हाईयां अगर डसने लगें तो हार मत जाना ।
मेरे तुम नाम से यारा फिर महफिल सजा लेना ।।
खिजां के मौसमों को देखकर यूं उदास न होना ।
बहारें आएंगी चाहत यह पलकों पर सजा लेना ।।
करना न कभी रुखसत मुझे तुम भीगी पलकों से ।
दिखे हंसता हुआ चेहरा ऐसी तुम विदा देना ।।….