कल रात तुम मिले थे
1. मेरे सुकून को तेरी तस्वीर काफ़ी है
शब-ए-हिज्र में ये तदबीर काफ़ी है
~ सिद्धार्थ
2. दिल में रहने वाले लोग दिल को बड़ा दुखाते हैं
कहते हैं हम अपने हैं पर गैरों से नज़र आते हैं!
~ सिद्धार्थ
3. कल रात तुम मिले थे
बस खैरियत नहीं पूछा
वो…हम ख़वाब देख रहे थे
बस इस लिए कुछ नहीं सूझा…
~ सिद्धार्थ