कल और आज
कल भी औरत
लुटती थी
आज भी औरत
लुटती है
कल भी औरत
पिटती थी
आज भी औरत
पिटती है…
(१)
नीच मर्दों की
खोदी हुई
इन छोटी-छोटी
क़ब्रों में
कल भी औरत
सड़ती थी
आज भी औरत
सड़ती है…
(२)
मायके से
ससुराल तक
शादी से
तलाक़ तक
कल भी औरत
घुटती थी
आज भी औरत
घुटती है…
(३)
संस्कृति और
सभ्यता के
सारे दावों के
बावजूद
कल भी औरत
जलती थी
आज भी औरत
जलती है…
(४)
ज़ात-धरम के
खानों में
दरिंदों में
हैवानों में
कल भी औरत
बंटती थी
आज भी औरत
बंटती है…
(५)
गलियों में
चौबारों में
खुलेआम
बाजारों में
कल भी औरत
बिकती थी
आज भी औरत
बिकती है…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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