कली
मनहरण घनाक्षरी
कली
रुत बेकरार आई,
पवन सवार आई,
कलियों ने आंखें खोली,
बागों में बहार है।
सांवला- सलोना पिया,
हाय भरमाए जिया,
उड़- उड़ कली पर,
करता पुकार है।
कली- कली भौंरा डोले,
भेद दिल के न खोले,
प्रीत के हिलोरे लेता,
रथ पे सवार है।
मुदित होकर कली,
भंवरे से गई छली,
बाहों में जकड़ कर,
करता दुलार है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)