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18 Nov 2021 · 1 min read

कली

मनहरण घनाक्षरी

कली

रुत बेकरार आई,
पवन सवार आई,
कलियों ने आंखें खोली,
बागों में बहार है।

सांवला- सलोना पिया,
हाय भरमाए जिया,
उड़- उड़ कली पर,
करता पुकार है।

कली- कली भौंरा डोले,
भेद दिल के न खोले,
प्रीत के हिलोरे लेता,
रथ पे सवार है।

मुदित होकर कली,
भंवरे से गई छली,
बाहों में जकड़ कर,
करता दुलार है।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)

1 Like · 6 Comments · 382 Views
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