कलियों सी मुस्कुराती
कलियों सी मुस्कुराती
फूलों सी महकती हो
तुम हर पल मुझे ना जाने क्यों
सुबह सी लगती हो
पत्तों पर तबस्सुम सी
मन को मेरे तुम
हरियाली सी दिखती हो
दिल के प्रेम समर्पण में
तुम मेरी फ़िक्र सी लगती हो
तुम हर पल मुझे ना जाने क्यों
सुबह सी लगती हो…
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार