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30 Aug 2024 · 1 min read

कलियों सी मुस्कुराती

कलियों सी मुस्कुराती
फूलों सी महकती हो
तुम हर पल मुझे ना जाने क्यों
सुबह सी लगती हो
पत्तों पर तबस्सुम सी
मन को मेरे तुम
हरियाली सी दिखती हो
दिल के प्रेम समर्पण में
तुम मेरी फ़िक्र सी लगती हो
तुम हर पल मुझे ना जाने क्यों
सुबह सी लगती हो…

मेरी कलम से…
आनन्द कुमार

113 Views

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