कलियुग की गोपी
राधे तेरी कलियुग की गोपियाँ कलियुगी हो गयी,
दही माखन मिश्री छोड़ गुटका वाली हो गयी,
बात बात में करती हैं झगड़ा वो झगड़ालू हो गयी,
तंगी हो जीवन से भरा वो शान दिखाती नबाबी,
दोपहर में सोकर उठे आलसी ठाट नबाबी हो गयी,
काम काज भाए नही सासु झाड़ू पोछा बर्तन धोती,
मोबाईल पे समय बिताये वो तो फैशन वाली हो गयी,
सास ससुर बोले ज्यो अच्छे कर्म करो बहु नही बेटी हो,
आंखे दिखाती चिल्ला के बताती मैं ब्यूटी वाली हो गयी,
प्रेमी के संग झूठ बोलती करती गैर मर्दो से वो बाते,
प्रेमी बना के फिर धोखा देती वो हजारो की हो गयी,
प्रेम प्यार को खिलवाड़ समझती पुरूष बदलती पल में,
झूठी कहानी झूठी शान खुद को सच्चाई वाली हो गयी,
स्त्री धर्म को भ्रष्ट करके खुद को सती बताती है,
कुसंग छल कपट के बल वो संस्कारी हो गयी,