कलाम
कोई बात होती थी तो सरेआम कहते थे।
हम मिलने पर भाइयो से राम राम कहते थे।
कोई था जो देश को हरपल समर्पित था
सिद्धार्थ उनको ही अब्दुल कलाम कहते थे।।
दिल की गहराईओं से नमन आपको करना।
आपकी याद में देखा है खुशियो का मरना।
सारे ठहरे है आपकी विदाई में
नदियां तारे ज़मी और झरना।।