कलाधर छन्द
शारदे समग्र शुद्ध, भाव का विचार सार,
दिव्य ज्ञान की मिठास, मातु आप दीजिये।
काम क्रोध मोह लोभ, पाप को मिटाय मातु,
चित्त की मलीनता को, दूर आप कीजिये।
कीजिये विनाश मातु, रोग दोष का सदैव,
अंधकार को मिटा, हमे उबार लीजिये।
धर्म कर्म रीति नीति, सभ्यता स्वभाव शान्ति,
सत्य नेह भावना, सुज्ञान मातु दीजिये।