कलाधर घनाक्षरी
🙏
!!श्रीं !!
सुप्रभात !
जय श्री राधेकृष्ण !
शुभ हो आज का दिन !
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कलाधर घनाक्षरी- साधारण दंडक
(31 वर्ण , रगण जगण की 5 आवृत्तियाँ + गुरु । यति 16,15 पर अनिवार्य, 8,8,8,7 पर उत्तम)
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धीर- वीर हैं प्रवीण, छोड़़ते नहीं विवेक ,
शौर्यवान धर्मवान, कर्म नित्य तोलते ।
पालते न ग्रंथियाँ न, गाँठ बाँधते विकार ,
हैं नदी समान लक्ष्य, भेद हेतु डोलते ।।
सोचते भला सदैव , भूलते कभी न ईश ,
खोजते नवीन राह, नव्य द्वार खोलते ।
धारते न वैर भाव, त्याग वासना सदैव,
भारतीय हैं महान, शब्द मिष्ठ बोलते ।।
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राधे….राधे….!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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