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11 Jul 2024 · 1 min read

कलश चांदनी सिर पर छाया

कलश चांदनी सिर पर छाया
कैसी उसकी अमृत माया
ममता का है हर जग आँचल
जैसे बादल, अम्बर काया।।

सूर्यकांत

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