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11 May 2018 · 2 min read

कलयुग का भीष्म पितामह ( डेविड गुडाल) १०४ वर्ष में त्यागे इच्छा मृत्यु से प्राण

१०४ वर्ष में इच्छा मृत्यु से प्राण त्यागने वाले डेविड गुडाल को कलयुग का भीष्म पितामह कहा जा सकता है। कौरव-पांडव युद्ध में अपने भावी पीढ़ियों का अंत देखने के उपरांत भीष्म पितामह (देवव्रत) का जीवन के प्रति मोह भंग हो चुका था। अतः महाभारत युद्ध के उपरांत उन्होंने भी इच्छा मृत्य द्वारा अपने जीवन का अंत किया था। संयोग देखिये दोनों महानुभावों के नाम का पहला अक्षर डी (द) से ही शुरू होता है। “डी” से डेविड, “द” से देवव्रत।

अपने जीवन से ऊब चुके 104 साल के ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक ने गुरुवार को स्विट्जरलैंड में आखिरी सांस ली। डेविड गुडाल बीते बुधवार को ऑस्ट्रेलिया से रवाना हुए थे। बीच में वह कुछ समय के लिए अपने परिजनों के पास फ्रांस में रुके थे।

डेविड ने असिस्टेड डाइंग एडवोकेसी समूह एक्सिट इंटरनेशनल की मदद से दुनिया को अलविदा कहा। एक्सिट इंटरनेशनल ने गुरुवार को यह जानकारी दी। डेविड को अपने देश में इच्छा मृत्यु की इजाजत नहीं मिली थी। वह किसी असाध्य रोग से ग्रस्त नहीं थे। ऑस्ट्रेलियाई में गंभीर बीमारी से पीडित लोगों को ही इच्छामृत्यु की इजाजत है। डेविड का कहना था कि उनकी जिंदगी में अब कुछ जीने लायक नहीं रहा है और वह मरना चाहते हैं ।

इच्छा मृत्यु के इस मिशन पर डेविड का साथ उनकी दोस्त कैरल ओ’ नील ने दिया, जो एक्सिट इंटरनेशनल की प्रतिनिधि हैं। डेविड को स्वदेश में आखरी सांस न ले पाने का मलाल था। कैरल ने बताया कि डॉ. डेविड शांतिपूर्वक और इज्जत के साथ दुनिया से विदा लेना चाहते हैं। वो उदास या दुखी नहीं है, लेकिन अब पहले की तरह उनमें जीने की चाह नहीं है। डॉ डेविड के स्विट्जरलैंड तक के सफर के लिए एक ऑनलाइन याचिका ने 20,000 ऑस्ट्रेलियन डॉलर जमा किए थे।

(गूगल इंटरनेट न्यूज़ “हिंदुस्तान” से साभार)

Language: Hindi
Tag: लेख
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