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6 Oct 2022 · 1 min read

कलम

छंद मुक्तक

सृजन शब्द -कलम

मापनी 1222 1222 1222 1222

कलम छोटी नहीं होती, गजब की धाक रखती है।
जहां तलवार थम जाए ,कलम फिर काम करती है।
जहां डोले वतन का ताज, नेता डगमगा जाए।
कलम की धार आ करके वतन की शान रखती है।

दबी बातें हृदय में जो, कभी सोने नहीं देती।
छुपाए छुप नहीं सकती, छुपाने भी नहीं देती।
उठाए भार कुंठा का, फटे ज्वालामुखी दिल का।
कलम जब बात रखती है ,सखी मौका नहीं देती।

चली अनथक कलम मेरी, सफर दिन-रात करती है।
सजाए शब्द बातों के, रसों की धार बहती है।
कहीं लय भाव गीतों में ,बहे सुर‌ धार रचना में।
बहाए छंद की धारा, रची रचना सुहाती है।

ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 272 Views
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