दोनों हाथों से दुआएं दीजिए
सत्य को फांसी पर चढ़ाई गई
"जीत के जीरे" में से "हार की हींग" ढूंढ निकालना कोई "मुहब्बत
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
नस नस में तू है तुझको भुलाएँ भी किस तरह
जो धनी हैं वे धनी बनते जा रहे हैं,
*जाऍं यात्रा में कभी, रखें न्यूनतम पास (कुंडलिया)*
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
मन की बुलंद
Anamika Tiwari 'annpurna '
कुछ परछाईयाँ चेहरों से, ज़्यादा डरावनी होती हैं।
चाँदी की चादर तनी, हुआ शीत का अंत।
हालात ही है जो चुप करा देते हैं लोगों को
वो हक़ीक़त में मौहब्बत का हुनर रखते हैं।
स्वर्ग से सुंदर मेरा भारत