कलम पकड़ लिखते रहो
******* कलम पकड़ लिखते रहो *********
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कलम पकड़ लिखते रहो,कभी ना रुको आप।
नयन निंदिया हम भरे , शीतल होगा ताप।।
वचन के तुम प्रहार से , करो बुराई साफ।
जन हित में जो भी करो,ग़लती होगी माफ़।।
ऐसी करनी तुम करो , जग में हो सब नाम।
जन की सेवा में छिपा , चारों दर्शन धाम।।
तेरा – मेरा कुछ नहीं , छाया माया जाल।
लोभ – मोह में है मरा, मानुष सिर पर काल।।
मनसीरत है देखता , सब के मन में चोर।
मानवता के नाम का , सुनता रहता शोर।।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)