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4 Jun 2022 · 1 min read

कलम की वेदना (गीत)

मैं कलम की वेदना हूँ, लिख रही पाती तुझे
तुम वतन के हो दीया तो मान लो बाती मुझे

हाँ, सभी को है पता, आज का हर सिलसिला
शत्रु द्वारे पर खड़े और हँस रहे हैं खिलखिला
लग रहा है इस वतन में अब नहीं कोई महान
तुम बचाओ या मिटूँ मैं यह बता साथी मुझे

सब पड़े क्यों? मौन आज, मिट रही मैं भारती
मुझको कौन बचायेगा? , मैं ही जगत को तारती
क्यों? कोई अब इस धरा पर, नहीं बचा है जवान
ममता मेरी है अखण्डित, ना करो खंडित मुझे

आजादी का स्वप्न देखा, वीर भगत सुभाष ने
बनके पक्षी गीत गायी, मेरी हर एहसास ने
अब जो खंडित हो गई, बचना नहीं होगा आसान
मुझको मारो या बचाओ कह रही साथी तुझे

मैं कलम की वेदना……………….. …।
—- ✍सूरज राम आदित्य

Language: Hindi
Tag: गीत
5 Likes · 2 Comments · 771 Views

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