*कर ले सतगुरु नाल प्यार बंदया तू तर जाना*
कर ले सतगुरु नाल प्यार बंदया तू तर जाना
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कर ले सतगुरु नाल प्यार बंदया तू तर जाना।
जिन्दगी दो दिन दी उधार बंदया तू तर जाना।
धन जोड़या भरा खजाना कम ना कोई आया,
बही खाते खोल के देखो की खोया की पाया,
हो जाएगा बेडा तेरा पार बंदया तू तर जाना।
जिन्दगी दो दिन दी उधार बंदया तू तर जाना।
मांस दा बदली मांस देना क्यों तूँ मांस खावें,
नशे शराबा पी के बंदया मर जावेंगा तूँ थावें,
कुछ कर ले सोच विचार बंदया तू तर जाना।
जिन्दगी दो दिन दी उधार बंदया तू तर जाना।
एह नगरी पापा दी नगरी क्यों तूँ पाप कामावे,
मुक जुगी जिंद निमानी क्यों माड़े रस्ते जावें
मोह माया भरया संसार बंदया तू तर जाना।
जिन्दगी दो दिन दी उधार बंदया तू तर जाना।
मनसीरत मन ले कहना जिंदगी है वड्डा गहना,
महल चुबारे डिग जाने इको थां ढेरी हो जाना,
सिखले जीवन दा सत्कार बंदया तू तर जाना।
जिन्दगी दो दिन दी उधार बंदया तू तर जाना।
कर ले सतगुरु नाल प्यार बंदया तू तर जाना।
जिन्दगी दो दिन दी उधार बंदया तू तर जाना।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)