**** कर- ना दूसरों पर वहम ****
24 .11.17 *** सांय **** 4.37
यूं इठलाकर अठखेलियां ना कर कुछ तो रहम कर
बीती जा रही है जवानी इसकी रवानी पर रहम कर
इबादत-इश्क छुपाकर कर कर- ना दूसरों पर वहम
मातहत को इस क़दर आंशिक बना आदत ना कर ।।
?मधुप बैरागी
24 .11.17 *** सांय **** 4.37
यूं इठलाकर अठखेलियां ना कर कुछ तो रहम कर
बीती जा रही है जवानी इसकी रवानी पर रहम कर
इबादत-इश्क छुपाकर कर कर- ना दूसरों पर वहम
मातहत को इस क़दर आंशिक बना आदत ना कर ।।
?मधुप बैरागी