कर के श्रृंगार न दर्पण निहारा करेंगे
कर के श्रंगार न दर्पण निहारा करेंगे,
न ही ज़ुल्फ़ें संवारा करेंगे।
न लगाएंगे आंख में काजल न लोंग का लिश्कारा करेंगे।
लग न जाए नज़र हमें किसी की,
इसलिए सिर्फ आपकी निगाहों से खुद को देखना ग्वारा करेंगे।
यूं तो माहिर हैं चलाने की तीर ये नज़र,
पर नहीं तीर कस कस के किसी और को मारा करेंगे ।
शमा के तो परवाने होते हैं कई मगर
हर जगह न हुस्न आवारा करेंगे।