कर्म
कर्म(मुक्तक)
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सबके , सपने तो चकनाचूर है।
फिर क्यों , सब घमंड में चूर है।
मार्गदर्शन , किया ऐसा किसने;
कर्म ही तो जिंदगी का दस्तूर है।
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…. ✍️पंकज ‘कर्ण’
………. कटिहार।।
कर्म(मुक्तक)
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सबके , सपने तो चकनाचूर है।
फिर क्यों , सब घमंड में चूर है।
मार्गदर्शन , किया ऐसा किसने;
कर्म ही तो जिंदगी का दस्तूर है।
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…. ✍️पंकज ‘कर्ण’
………. कटिहार।।