# कर्म श्रेष्ठ या धर्म ??
# कर्म श्रेष्ठ या धर्म ??
आइए परखें
# धर्म में रत मनुष्य धर्मान्धता के मद में अक्सर कर्म से विमुख हो जाता है और स्वयं को धर्म को समर्पित कर निष्क्रिय हो बैठ जाता है ।।
# कर्म में लीन मनुष्य कर्तव्य पालन में निष्ठा के कारण धर्म के लिए सुयोग नहीं निकाल पाता और वह कर्म को ही अपना धर्म स्वीकार कर लेता है ।।
# “श्रेष्ठ कौन स्वयं विचार करें ।।”
सीमा वर्मा