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28 Oct 2024 · 10 min read

कर्म योग: मार्ग और महत्व। ~ रविकेश झा।

नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करते हैं कि आप सभी अच्छे और स्वस्थ होंगे और जागरूकता के तरफ बढ़ रहे होंगे। क्योंकि जब तक हमें कुछ जानना हो फिर हमें जागरूकता की आवश्कता होता है ताकि हमें जानने में मदद मिले। हम जब जीवन जीते हैं फिर हम सुख और दुख का सामना करते हैं और चाहते हैं की कुछ और मिल जाए कुछ धन पद और मिल जाए ताकि जीने में दुख न हो लेकिन जब मिल जाता है फिर हम और अति के तरफ बढ़ते हैं लेकिन कभी सोचते नहीं है ये किसको जरूरत है कौन भोग करेगा ये शरीर या ये आत्मा। और जिनको नहीं मिलता वो फिर दुखी होते हैं अपना सिर फोरते है, लेकिन दोनों कर्म को नहीं समझ पाते एक संतुष्टि के तरफ बढ़ना चाहता है और एक भोग के लिए जिसको आज तक नहीं मिला वो क्या करेगा वो तो चाहेगा ही की मुझे भी भोग करने को मिलें खुशियां भी मिलें जिसे वो असली सुख समझता है बल्कि असल में वो कचरा है जिसे हमें मृत्यु से पहले सब फेंक कर जाना है स्वच्छ होकर।

लेकिन फिर भी हम दौड़ते हैं किसी को संतुष्टि नहीं मिलता क्योंकि संतुष्टि के लिए हमें अंदर आना होगा जानना होगा, लेकिन हम मान के चल रहे हैं बाहरी बात को स्मरण में लेते हैं ताकि जीने में हल्कापन आ जाए। लेकिन गरीब भी गलती करते हैं लेकिन उनमें भक्ति भी होती है क्योंकि वो हृदय से जीते हैं बुद्धि से अमीर लोग जीते हैं। हृदय वाले व्यक्ति बाहरी गरीब हो सकते है लेकिन आंतरिक सबसे अमीर होते हैं , उन्हें ईश्वर में आस्था भी अधिक रहता है वो प्राथना भी करते हैं बिना स्वार्थ के क्योंकि वो कहते हैं की भगवान सब कुछ देख रहे हैं उनके घर में देर हो सकता है लेकिन अंधेर नहीं। क्योंकि वो भी गुरुजी से सुनते हैं की कर्म करते जाओ फल की चिंता नहीं करो भगवान सब अच्छा ही करेंगे। संतुष्टि में जिओ, और वो आसानी से मान भी लेते हैं।क्योंकि वो मानते हैं, जानने की कोशिस नहीं करते। बुद्धिमान जानते हैं खोजते हैं और जब ईश्वर नहीं मिलते फिर वो धन को सब कुछ समझ लेते हैं। क्योंकि उन्हें लगता है अमीर होना ही सबसे बड़ा उपलब्धि हो सकता है। क्योंकि वो बाहर देखते हैं और बाहर ही जीते हैं।लेकिन दोनों गलत जी रहे हैं यदि संतुष्टि के लिए जी रहे हैं तो। हमें फिर भी दौर कम नहीं होता बल्कि और बढ़ जाता है और हम बिना निष्कर्ष या किसी सार्थक निर्णय पर पहुंचे उससे पहले हम और कचरा भरते जाते हैं फिर भी संतुष्टि नहीं मिलता क्योंकि हम कामना को समझ ही नहीं पाते की कामना आखिर है क्या क्यों हम कामना के तरफ बढ़ते हैं हम क्यों कर्म करते हैं हम क्यों भीर में दौड़ते हैं। हमें अंदर आना चाहिए ताकि हम सब कुछ जान सके और जागृत भी हो सके। लेकिन सत्य जानने के लिए हमें अति या प्रेम से गुजरना होगा, तभी न हम सभी चीजों में स्पष्टता ला सकते हैं। स्वाद चख सकते हैं जब तक हम जानेंगे नहीं तब हमें कैसे पता चलेगा की सत्य क्या है हम दूर से बस घृणा कर सकते हैं या क्रोध। जानने की बात करता हूं फिर यहां सभी इंद्रियां की बात करता हूं। देखने की सुनने की सूंघने की छूने की पीने का, भोग करने का तभी आप सभी चीजों को समझ सकते हैं सभी चीजों में से रस को देखना होगा लेकिन जो भी करना होगा जागरूकता के साथ न की जल्दी जल्दी। बुध के पास भी बहुत सुख था वो भी ऊब गए थे वो भी जानना चाहते थे की सत्य क्या है ये सब में तो सत्य नहीं मिला आखिर सत्य कैसे मिलेगा, पहले वो भी अति के तरफ थे फिर वो हल्का भोजन पर आ गए और अंत में दोनों में त्यार हो गए जो मिला सब अच्छा नहीं मिल फिर भी अच्छा। या तो हमें जानना होगा या दूर से कल्पना करके मानना होगा सुगंध लेकर खुश होना होगा या जानकर आनंद के तरफ आना होगा। निर्णय हमें करना होगा साहब। आज हम बात कर रहे हैं कर्मयोग के बार में आज समझेंगे की कर्मयोग क्या है और कैसे हम भी कर्मयोगी बनें और निरंतर ध्यान और प्रेम की राह पर चलकर प्रभु को प्राप्त कर सके। यदि आप मेरे पिछले पोस्ट को अभी तक नहीं पढ़े हैं फिर आप देर न करें यदि जागना है तो स्वतंत्र होकर पढ़े। और आप मेरे पिछले पोस्ट को आसानी से पढ़ सकते हैं और यदि कोई सुझाव देना चाहे फिर आप कॉमेंट के माध्यम से सुझाव दे सकते हैं।

तो चलिए बात करते हैं कर्मयोग की पहले हम जानते हैं कि कर्म क्या है कर्म का अर्थ क्या होता है। कर्म शब्द कृ धातु से निकला है, कृ धातु का अर्थ है करना, कुछ करना जो कुछ किया जाता है।

कर्म का अवधारणा।

कर्म कई आध्यात्मिक परंपराओं में एक मौलिक सिद्धांत है। यह इस विचार को संदर्भित करता है कि हमारे कार्य के परिणाम होते हैं। लोग अक्सर कहते हैं, जो कर्म करता है, वही फल देता है। यह कर्म का सार के दर्शाता है। कर्म को समझने से व्यक्ति के अधिक सचेत जीवन जीने में मदद मिल सकता है। अपने कार्यों के प्रति जागरूक होकर, हम अपने और दूसरों के लिए सकारात्मक परिणाम बना सकते हैं। दैनिक जीवन में कर्म एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमारे रिश्तों, काम और व्यक्तिगत विकास को प्रभावित भी करता है। जब लोग दयालुता और ईमानदारी से काम करते हैं, तो वे अक्सर दूसरों से भी इसी तरह के व्यवहार का अनुभव करते हैं। इसके विपरित , नकारात्मक कार्य चुनतियों और कठिनाईयों का कारण बन सकता है। इसे पहचानने से व्यक्ति अपने कार्यों को अधिक सावधानी से चुनने के लिए प्रेरित होगा।

कर्म और व्यक्तिगत विकास।

कर्म केवल बाहरी कार्यों के बारे में नहीं है। यह हमारे विचारों और इरादों से भी संबंधित है। सकारात्मक सोच और इरादे व्यक्तिगत विकास और पूर्ति की ओर ले जा सकता हैं। सकारात्मक कार्यों पर ध्यान केंद्रित करके, लोग अपनी मानसिक और भावनात्मक भलाई में सुधार कर सकते हैं। यह दृष्टिकोण अधिक संतुलित और संतोषजनक जीवन की ओर ले जा सकता है।

कर्म का अभ्यास करने के व्यावहारिक तरीके।

कर्म का अभ्यास करने में हमारे कार्यों के प्रति सचेत रहना होता है। यहां दैनिक जीवन में कर्म को शामिल करने के कुछ व्यावहारिक तरीके बता रहा हूं। आप दया और करुणा पर ध्यान केंद्रित करें, अपने व्यवहार में ईमानदार और सच्चे रहें। बदले में कुछ भी भी उम्मीद किए बिना दूसरों की मदद करें।

कर्म और समुदाय।

कर्म समुदायों के भी प्रभावित करता है। जब व्यक्ति स्कारात्मक रूप से कार्य करते हैं, तो इसका प्रभाव लहर की तरह फैलता है। इससे एक अधिक सामंजस्यपूर्ण और सहायक समुदाय बन सकता है। जो समुदाय कर्म के सिद्धांतो को अपनाते हैं, वे अक्सर अपने सदस्यों के बीच मजबूत बंधन और सहयोग का अनुभव करते। कर्म हमें याद दिलाता है कि हमारे पास आज के कार्यों के माध्यम से अपने भविष्य को आकार देने की शक्ति है। यह जागरूकता व्यक्तियों को अधिक सचेत और उद्देश्यपूर्ण तरीके से जीने के लिए प्रेरित कर सकता है।

कर्मयोग को समझना।

कर्मयोग आध्यात्मिक विकास के मार्गों में से एक है। यह निस्वार्थ कर्म पर केंद्रित है। यह अभ्यास भगवद गीता की शिक्षाओं में निहित है। कर्म योग का पालन करने वाले बिना किसी लोभ किसी पुरस्कार की उम्मीद के बिना अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। क्योंकि वो निष्काम के तरफ बढ़ते हैं वो चाहते हैं कि अब हम बिना लोभ के जीए कर्म तो करे लेकिन कोई आशा नहीं नहीं तो निराशा हो सकता है जो होगा उसे स्वीकार करेंगे। कर्म योग में, कर्म उच्च उद्देश्य के लिए समर्पित होते हैं। यह अहंकार और आसक्ति को कम करने में मदद करता है। यह शांति और पूर्णता की भावना लता है। यह अभ्यास किसी विशेष धर्म तक सीमित नहीं है। कोई भी व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में कर्मयोग का पालन कर सकता है।

कर्मयोग का मार्ग | निस्वार्थ सेवा

निस्वार्थ सेवा कर्म योग का एक मुख्य सिद्धांत है। लोग ऐसी गतिविधियां में संलग्न होते हैं जिनसे दूसरों को लाभ होता है। ये कार्य बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना किए जाते हैं। इससे विनम्रता और करुणा विकसित करने में मदद मिलता है। स्वयंसेवा निस्वार्थ सेवा का अभ्यास करने का एक सामान्य तरीका है। सामुदायिक कार्यक्रमों में मदद करना या धर्मार्थ संगठनों का समर्थन करना इसके उदाहरण हैं। मुख्य बात यह है कि परिणाम पर नहीं, बल्कि कार्य पर ध्यान केंद्रित करें।

परिणामों से अलगाव।

परिणामों से अलगाव एक और महत्त्वपूर्ण पहलू है। लोग अपने कर्तव्यों का पालन लगन से करते हैं। हालांकि, वे परिणामों से जुड़े होते हैं। इससे तनाव और चिंता कम होती है। उदाहरण के लिए, एक छात्र परीक्षा के लिए कड़ी मेहनत करता है। वे ग्रेड के बजाय सीखने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। यह मानसिकता आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती है।

कर्मयोग के लाभ।

कर्मयोग का अभ्यास करने में आंतरिक शांति मिलती है। जब लोग परिणामों के बजाय कार्यों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो उन्हें कम तनाव का अनुभव होता है। यह दृष्टिकोण शांत मन बनाए रखने में मदद करता है। आंतरिक शांति से मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। यह क्रोध और ईर्ष्या जैसी नकारात्मक भावनाओं को कम करता है। लोग अपने जीवन से अधिक संतुष्ट हो जाते हैं। हमें जीवंत होने में मदद मिल सकता है। हमें जागरूकता भी बढ़ सकता है। हम निरंतर ध्यान और प्रेम के मार्ग पर आनंद महसूस करेंगे।

बेहतर रिश्ते।

कर्म योग दूसरों के साथ संबंधों को बेहतर बनाता है। जब लोग निस्वार्थ भाव से कम करते हैं, तो उनमें विश्वास और सम्मान का निर्माण होता है। इससे परिवार, दोस्तों और सहकर्मी के साथ संबंध मजबूत होते हैं। दयालुता और करुणा के कार्यों सराहनीय हैं। वे एक सकारात्मक वातावरण बनाते हैं। इससे बेहतर संचार और समझ को बढ़ावा मिलता है।

दैनिक जीवन में कर्म योग को कैसे शामिल करें दयालुता का सरल कार्य।

आप दयालुता के सरल कार्यों से शुरुआत कर सकते हैं। किराने का सामान लाने में पड़ोसी की मदद करें। किसी अजनबी को मुस्कुराकर खुश करें अब किसको करना है ये निर्णय आपको लेना होगा। ये छोटे-छोटे कार्य बहुत बड़ा बदलाव लाते हैं। निरंतरता बहुत आवश्यक है। निस्वार्थ कामों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। समय के साथ, यह एक स्वाभाविक आदत बन जायेगी।

सचेतन कार्य।

अपने कामों में सचेतन का अभ्यास करें। अपने इरादों के प्रति सजग रहें। परिणामों की चिंता किए बिना अपना सर्वश्रेष्ठ करने पर ध्यान केंद्रित करें। सचेतन कार्य वर्तमान में बने रहने में मदद मिल सकता हैं। वे आपके काम और व्यक्तिगत बातचीत की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं। इससे जीवन अधिक संतुष्टिपूर्ण बनता है।

कर्तव्य को समझना जीवन में इसके भूमिका।

कर्तव्य एक अवधारणा है जो हमारे जीवन के कई पहलुओं का मार्गदर्शन करती है। यह हमारे कार्यों और निर्णय को एक सुनहरा आकार देते हैं, कर्तव्य को समझना हमें जीवन की चुनौतियों का अधिक प्रभावी ढंग से सामना करने में मदद कर सकता है। कर्तव्य बाहरी कड़ियां हैं और स्वभाव आंतरिक, जब हमें कोई पद धन प्रतिष्ठा या अन्य कामना के लिए जो दौड़ना परता है उसे हम कर्तव्य मान के बैठे हैं और आंतरिक स्वभाव को बिना जांच पड़ताल किए हम कर्तव्य की ओर बढ़ते हैं हमें समझना चाहिए की हमारा असली पहचान क्या है हम क्यों दौर रहे हैं और लोग ठहरने के लिए क्यों बोलते हैं दोनों बातों को समझना होगा। कर्तव्य का तात्पर्य दूसरों और स्वयं के प्रति हमारी जिम्मेदारियों से जुड़ा है। यह सही काम करने के बारे में है, भले ही यह मुश्किल हो। लोग अक्सर अपने कर्तव्यों के माध्यम से उद्देश्य की भावना पाते हैं।

कर्तव्य का महत्व।

कर्तव्य सामाजिक सद्भाव बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब लोग अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं, तो समुदाय-फलता फूलता है। यह व्यक्तियों के बीच विश्वास और सहयोग बनाने में मदद करता है। व्यग्तिगत स्तर पर, कर्तव्यों को पूरा करने से उपलब्धि की भावना पैदा हो सकती है। यह व्यक्तिगत विकास और विकाश में भी मदद कर सकता है।

अपने कर्तव्यों को पहचान कैसे करें।

अपने कर्तव्यों की पहचान करने के लिए आत्म-चिंतन की आवश्कता होती है। जीवन में अपनी भूमिकाओं पर विचार करें। क्या आप माता-पिता हैं, कर्मचारी हैं, मित्र हैं?, प्रत्येक भूमिका अपनी जिम्मेदारियों के साथ आती है। इन भूमिकाओं और संबंधित कर्तव्यों की एक सूची बनाएं। उनके महत्व और तात्कालिकता के आधार पर उन्हें प्राथमिकता दें। इससे आपको अपने समय और प्रयासों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिल सकती है।

कर्तव्यों को पूरा करने में चुनौतियां।

कर्तव्यों को पूरा करना कभी-कभी चुनौतीपूर्ण हो सकता है। परस्पर विरोधी जिम्मेदारियां तनाव पैदा कर सकता है। संसाधनों या सहायता की कमी भी हमारे कर्तव्यों को निभाने की हमारी क्षमता में बाधा डाल सकती है। आवश्कता पड़ने पर संवाद करना और मदद मांगना आवश्यक है। अपने बोझ को साझा करने से उन्हें सहना आसान हो सकता है।

व्यक्तिगत विकास में कर्तव्य की भूमिका।

कर्तव्यों को निभाने से व्यक्तिगत विकास हो सकता है। यह अनुशासन, धैर्य और लचीलापन सीखा सकता है। ये गुण जीवन की चुनौतियों पर काबू पाने की लिए आवश्यक है। इसके अलावा, कर्तव्यों को पूरा करने से आपकी प्रतिष्ठा बढ़ सकती है। लोग उन लोगों का सम्मान करते हैं जो विश्वसनीय और ज़िम्मेदार हैं।

निष्कर्ष

अपने कर्तव्यों को समझना और पूरा करना आपके जीवन को बहुत प्रभावित कर सकता है। उससे व्यग्तीगत संतुष्टि और सामाजिक सद्भाव पैदा हो सकता है। अपनी ज़िम्मेदारी पर विचार करने के लिए समय निकालें और अपनी क्षमता के अनुसार उन्हें पूरा करने की प्रयास करें। कर्म योग आध्यात्मिक विकास का एक शक्तिशाली मार्ग है। यह निस्वार्थ सेवा और परिणामों से अलगाव पर जोड़ देता है। इन सिद्धांतों को दैनिक जीवन में शामिल करने से आंतरिक शांति मिलती है और रिश्तों में सुधार होता है। छोटे छोटे कदमों से शुरुआत करें। दयालुता के सरल कार्य और सचेतन कार्यों का अभ्यास करें। समय के साथ, आप कर्म योग के गहन लाभों का अनुभव करेंगे।

याद रखें हमें जागरूकता बनाएं रखना होगा, सभी चीजों को तोड़ना होगा यदि हमें सत्य जानना है तो हमें जागना होगा, हमें निरंतर ध्यान केंद्रित करना होगा, अपने शरीर विचार और भावना को जानना होगा, ताकि हम सभी आत्मिक और आंतरिक के तरफ भी बढ़े और सब कुछ जानने में सक्षम हो सके। ऐसे ही बने रहे हमारे साथ, हम सरल विधि और संक्षेप में लिख कर आप सभी को जगाने का कष्ट करता हूं, क्योंकि इतना पुस्तक होते हुए भी हम लोग नहीं जान पाते नहीं जाग पाते, इसीलिए हम प्रयास करते हैं की आप सभी आसान और सरल विधि से जागरूक होते रहे। आप मेरे फेसबुक के माध्यम से भी जुड़ सकते हैं, मैं प्रतिदिन कुछ न कुछ जागरूकता को नजर में रखकर लिखता रहता हूं ताकि और लोग भी जान सके जाग सके और मुक्ति की ओर बढ़े, ताकि हम सभी अपने वास्तविक स्वरूप का भी दर्शन कर सके, मृत्यु तो आना ही है क्यों न हम जीवन और मृत्यु के परे चले जाएं और आनंद के साथ मृत्यु के तरफ बढ़े और स्वर्ग नर्क की अवधारणा को भी जान सके। हमें बस जागरूक होना होगा। पढ़ने के लिए धन्यवाद।

धन्यवाद।
रविकेश झा।🙏🏻❤️

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