कर्म पथ पर
गीतिका
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कर्म पथ पर व्यक्ति जो उत्साह दिखलाता नहीं।
वह सहज परिणाम में भी पूर्णता पाता नहीं।
दूर रहने से कभी मजबूत रिश्ते कब हुए।
वह अकेला ही रहा है पास जो आता नहीं।
मुस्कुराना है जरूरी प्यार पाने के लिए।
बिन खिले तो फूल भी प्रिय गंध बिखराता नहीं।
हो नमी कुछ भावनाओं को जगाने के लिए।
सावनी बरसात बिन तो आम बौराता नहीं।
खूब मिलने की तमन्ना है लिए रहता हृदय।
भावनाओं का समंदर जब सिमट जाता नहीं।
मन नहीं भरता है जब-तक साथ रहकर देखिए।
मस्त यौवन प्रीति के घन खूब बरसाता नहीं।
जिन्दगी में स्नेह का सर्वोच्च पावन स्थान है।
स्नेह की मृदु भावना में कौन भरमाता नहीं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य