“कर्म कुरू,फलस्य चिंता मां कुरू”
किस्मत के भरोसे बैठे रहने वालों को
मैंने दर दर भटकते देखा है ।
बेहतर होगा कि हम कर्म प्रधान बनें……
गीता में भी कहा गया है
“कर्म कुरू,फलस्य चिंता मां कुरू”
अर्थात कर्म करें,फल की चिंता ना करें ।
आपके जितने अच्छे कर्म होंगे उतना ही अच्छा परिणाम मिलेगा……
सफलता में आड़े आने वाली,
मुसीबतों के सामने समर्पण ना करें ।
उनसे सामना करना सीखें;
हारने से ना डरें,
क्योंकि असल में कामयाब
वहीं होता है जो पहले कभी
हारा हो !
और कामयाबी का वास्तविक महत्व
उससे बढ़कर कोई नहीं जान सकता !
ईश्वर जब भी किसी इंसान को
कामयाबी से नवाजने की सोचता है,
उससे पहले वह उस इंसान की
परीक्षा लेता है;
उसके सामने चैलेंजेज् पैदा करता है,
अगर वह इंसान
उन मुसीबतो के सामने
टूटकर नहीं बैठता है,
तो ईश्वर को उस इंसान के बारे में
यह एहसास हो जाता है कि
इस कामयाबी का असली हकदार
यही है,
और अंत में वह इंसान
सफल हो जाता है !
इसलिए हमें भी
हर चैलेंज को फेस करना चाहिए,
तभी हमें सफलता मिलेगी !
-पवन जयपुरी