कर्म का फल भाग – 1 रविकेश झा
आप को अपने कर्म का फल आपको सोचते ही मिल जाता है। यही सत्य है।
क्योंकि सोचने वाले भी आप है करने वाले भी, और मानने वाले भी आप है फिर फल बाद के कैसे मिल सकता है,
इसको जागरूकता के माध्यम से जाना जा सकता है,
कर्मकांड कहता हैं हमे फल का चिंता नहीं करना चाहिए ,
क्योंकि फल उसी समय मिल जाता है, लेकिन आप स्वयं को परमात्मा से अलग मानते है, वही चूक हो जाता है, थोड़ा धैर्य में स्वयं को परिवर्तन करें, आप खाना खाओगे अभी पेट में जायेगा बाद में ये कैसे हो सकता है, इसीलिए मैं कहता हु,, जागरूकता से आप अपने शरीर से आगे बढ़ सकते है,
प्राथना करते समय स्वयं को देखे, विचार आ रहा है उसे रोक नहीं बस देखे, आप स्वयं चकित रह जायेंगे की ऐसा भी परिवर्तन हो सकता स्वयं के साथ,
भय को दूर करने की प्रयास न करें, बस भय को अपना मित्र बना ले। फिर भय आपको मदद करेगा स्वयं के रूपांतरण ke लिए।
इसीलिए आप वही सोचे जो आप को लगे कि ये सार्थक हो सकता है,
लेकिन आप ऐसे नहीं करते, आपको लोभ है धन का, पद का, प्रतिष्ठा का।
आप स्वयं जिम्मेदार हैं अपने दुख का, और सुख का भी आप ही रहेंगे जिम्मेदार।
इसीलिए ध्यान के माध्यम से आप कठोर से मुक्त हो सकते है।
क्रोध से मुक्त हो सकते है, घृणा से, भोग से मुक्त हो सकते है, तो सोचना अब आपको है की कैसे जीवन जिए।
कर्म आप किसके लिए करेंगे, स्वयं के लिए या परिवार के लिए, यही मोह है जीवन के प्रति भय भी है, जब आप जागरूकता से कर्म को देखते है उसी समय आप चकित होंगे की हम कैसे जी रहे थे, अपने मन को समझे थोड़ा की आपको कहां से कहां पहुंचा देता है, थोड़ा धैर्य में प्रवेश करना होगा, जीवन में ध्यान भी तभी काम करता हैं जब हम धैर्य को मित्र बना लेंगे उसके बाद अपने आप आनंदित हो सकते है, आप अभी सोए हुए है, आपको मौका मिलता है प्रतिदिन व प्रतिपल आप आनंदित हो सकते है।
अभी आप भोग विलास में फसे है, धन के पीछा जा रहे है, पद के पीछे, कैसे भी कर्म चलता रहे, और कभी कभी आप मंदिर भी जाते है की पाप मिट जाए, मौत ना आए, ये सब से आप स्वयं को धोका दे रहे है, क्योंकि आप जो मांगते हैं मिल जाता हैं फिर भी आप नही जान पाते ,
कर्म बस कर्म समझे, तभी आप पूर्णतः सहमत हो सकते है जीवन को आनंदित बनाए, कर्म बस अपना मित्र बना ले,
और आप स्वयं में प्रवेश करें, धीरे धीरे होगा, पर एक दिन होगा जरूर।
धन्यवाद,
रविकेश झा