कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
बिना कुछ किए ही निठतला फलता,
बकवास है फिर तो सारा पुरूषार्थ
अयोग्य, भ्रष्ट सफल हैं अकारथ।
कर्मों का फल यदि नहीं है मिलता
बिना कुछ किए ही निठतला फलता,
बकवास है फिर तो सारा पुरूषार्थ
अयोग्य, भ्रष्ट सफल हैं अकारथ।