*कर्मफल सिद्धांत*
कर्मफल सिद्धांत
कर्म भूमि पर हम जन्म लेकर आएं हैं तो जीवन जीने के लिए ईश्वर ने हमें कर्म बंधन में बांधे रखा हुआ है और इस जन्म में जो कर्म कर रहे हैं वो अगले जन्मों तक हमारा सुरक्षित रखा गया है जो भी कर्म करते जा रहे हैं सभी चीजों का लेखा जोखा चित्रगुप्त जी के पास है।
अगर हम अच्छे कर्म कर रहे हैं तो उसका प्रभाव पिछले जन्म से भी जुड़ा हुआ है आखिरकार हमने जो पिछला कमाया पुण्य है वो अभी इस जन्म में मिल रहा है।
इस जन्म का संचित कर्म पुनः जुड़ते चले जा रहा है।
कर्म प्रधान विश्व करी राखा
जो जस करही तस फल चाखा
यह चौपाई हम सभी के जीवन पर आधारित है।
अर्थात जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा ही फल चखने को मिलेगा।
इसलिए कहा जाता है कि कोई भी कर्म सोच समझकर कीजिए अन्यथा उसका प्रभाव बुरा होता है लेकिन शायद लोग ऐसे ही मान लेते है बाद में पता चलता है कि पिछले जन्म में कुछ भी बुरा कर्म किया होगा आज उसी का परिणाम भुगत रहे हैं।
इसलिए कर्म को ही प्रधानता देना जरूरी है वरना बाद में पछतावा ही हाथ लगेगा।
अच्छे कर्म का अच्छा परिणाम मिलता है और बुरे कर्म का बुरा नतीजा मिलता है
अब ये हमें ही तय करना है कि हम कौन से अच्छे कर्म करे जिससे कि अगले जन्मों में भी हम पूरी तरह सुखद संतुष्ट होकर अपने जीवन जीने की शैली को अपनाएं।
कर्म अच्छे करते रहने से सुखी संतुष्ट होकर सात्विक विचार रख सकते है और सुकून शांति मिलती है।
दूसरी तरफ गलत कर्म करने से नकारात्मक ऊर्जा शक्ति व गलत तरीके से काम करने से दोषी करार पाए जाते है और कार्मिक बंधन से बंध कर गलत रास्ता अपनाते हुए
नरक गामी की ओर कदम बढ़ाते हुए गर्त मे चले जाते है।
अब ये फैसला खुद करना है कि कर्म कैसा करें।
अच्छे कर्म का अच्छा परिणाम बुरे कर्म का बुरा असर पड़ता है।
शशिकला व्यास शिल्पी✍️