कर्त्तव्य
विधा-मुक्तक (२१ मात्रिक)
प्रदत्त विषय- #कर्त्तव्य (एक प्रयास)
छू सके दुश्मन न सरहद ख्याल रखना।
देश के प्रति है यही कर्त्तव्य अपना।
जान की बाजी लगानी भी पड़े तो-
राष्ट्र रक्षा में कभी पीछे न हटना।
साँस है जबतक हृदय में, देह में है जान।
छीन सकता है न कोई, हिन्द की मुस्कान।
राष्ट्र रक्षा यदि बना लें, सब प्रथम कर्त्तव्य-
‘सूर्य’ जबतक है रहेगा देश हिंदुस्तान।
जीवन जीना है यार, बहुत दुखदाई।
बढ़ती जाती है रोज, बड़ी मँहगाई।
हक मार रहे सब लोग, गरीबों का अब-
मुश्किल है रोटी दाल, समय पर भाई।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464