करो तुम कर्म ऐसा कि खुद अवसर द्वार आ जाये
दरस को चाँद मिलने को स्वयं श्रृंगार आ जाये,
तरलता देख दुश्मन के भी दिल में प्यार आ जाये,
जीवन में किसी अवसर का इन्तेजार मत करना
करो तुम कर्म ऐसा कि खुद अवसर द्वार आ जाये॥
संदीप “सत्यार्थी”
दरस को चाँद मिलने को स्वयं श्रृंगार आ जाये,
तरलता देख दुश्मन के भी दिल में प्यार आ जाये,
जीवन में किसी अवसर का इन्तेजार मत करना
करो तुम कर्म ऐसा कि खुद अवसर द्वार आ जाये॥
संदीप “सत्यार्थी”