करेजा मे करै हई घाव- डमरू उस्ताद ( मैथिली फिल्म समीक्षा)
करेजा मे करै हई घाव- डमरू उस्ताद
ठीके मे ई डमरुआ उस्ताद निकलल आ सिनेप्रेमी के करेजा मे करै हई घाव. अकचकेलौहं त नहि ने भाई? औ जी महराज हम मैथिलि फिल्म डमरू उस्ताद के गप कही रहल. क्षेत्रीय भाषा मे आंचलिक/ग्रामीण परिवेश वा की ओहि क्षेत्रक विषय-वस्तु पर आधारित फिल्म बनब सिनेप्रेमी आ कलाकार दुनूक लेल बड्ड खुशीक गप. मैथिलि फिल्म डमरू उस्ताद, मिथिला समाजक मुख्य समस्या जातिवाद आ अनकर शोषण करब वला प्रवृर्तिक सटीक उदहारण चरितार्थ केने अछि. फ़िल्मक अंत मे एक गोट साधारण लोक, जमींदार के डपटैत कहैत अछि, जे रे हमर डमरुआ त उस्ताद निकला ..आ से बात मैथिलि फिल्म डमरू उस्ताद पर एकदम साँच होयत अछि.
उस्ताद केकरा कहबै ओकरे ने जे समाज लेल सोचै आ की सामाजिक एकता लेल जातिपात मे बाँटल समाज के एकजुट करबाक प्रयास करै. शोषण, अन्याय के विरोध क ओकरा खिलाप लड़ै. दिलजान बड़का जमींदार रहैत अछि, ओतै डमरू घरेलू चाकर के काज करैत. डमरू उस्ताद( अनिल मिश्रा), दिलजान( शुभनारायण झा), सावित्री(नेहाश्री) तीनू गोटे अपना चरित्रक संग बेजोड़ अभिनय केने छथि. ई फिल्म एही तीनू चरित्रक संग शुरू आ फेर एही तीनू चरित्रक कहानी संग समाप्त. फिलमक आनो सहकलाकार जेना, पोठिया भाई (संतोष झा) के कॉमेडी चरित्र हंसी सा पेट फुला देत. तहिना भुन्ना, भुल्ली, लल्ली, मनेजर, सितपुरवाली के भूमिका मे सभ कलाकार अप्पन बेजोड़ अभिनय केने अछि. फ़िल्मक संगीत पवन नारयण केर बेहद कर्णप्रिय, जाहि मे मैथिलि संगीतक मौलिक काज देखबा मे आउत.
दिलजान मालिक ओइठाम डमरू आ सावित्री चाकर के काज करैत अछि. दिलजान सामंतवादी सोचक व्यक्ति रहे आ छोटका जातिक शोषण करब ओक्कर मेन काज. डमरू, दिलजानक एही सामंतवादी सोचक विरोध करैत, आ नौकरी छोड़ी चली जायत अछि. एम्हर दिलजान सावित्री के अपना प्रेमजाल मे फंसा लैत. डमरू त सावित्री सॅ सांचो प्रेम करैत मुदा सावित्री नहि. धन गहना- गुड़िया के लोभ मे सावित्री दिलजान मालिक के प्रलोभन मे फंसी जायत अछि आ डमरू के प्रेम के ठोकरबैत. आ एही प्रकारे एक दिन दिलजान संगे सवित्रिक शारीरिक संपर्क बनि गेल.
दिल्जानक घरवाली , सितपुरवाली( कल्पना मिश्रा) किछु दिन लेल ओ अपना नैहर चली गेल अछि. ओतेक टा बड़का घर मे दिलजान आब अस्कर आ पूर्ण आज़ादी. दिलजानक मोन सावित्री के रखैल बना के राखब आ चुपचाप मे कियो नहि बुझत. पहिने त सावित्री ई कहैत अछि जे मालिक, हम अरु त छोटका जाति हई हमर-अहाँ वियाह केना हेतै ग? दिलजान बाजल हगै सावित्री आब की कोई देखे गेलै ग. ई कही दिलजान, सवित्रिक जूठ रोटी खेबाक ढोंग केने अछि. एही चरित्र मे बड्ड स्पष्ट देखाओल गेल जे, शारीरिक शोषण कल जाति-पात कतै बिला गेल आ लोको ने बुझलक. मिथिला मे एहेन चरित्रक लोकक कोनो कमी नहि.
एम्हर डमरू के जखन एही बातक पता चलल त ओ अप्पन प्रेमिका सावित्री के बचेबाक लेल फेर सॅ दिलजान मालिक ओइठाम नौकरी करै लेल अबैत अछि. सवित्रिक सहेली भुल्ली कतेको बेर सावधान करैत जे, तू ई अनर्गल दिसि डेग आगू बढ़ा रहल हई. डमरू ठीके मे तोरा सॅ प्रेम करै होऊ ओकरा मानि ले. मुदा तैयो सावित्री, डमरूक प्रेम आमंत्रण ठोकरा दैत.
किछु दिन बाद सितपुरवाली अपना नैहर सॅ घुरि अबैत अछि त देखलक जे सावित्री मालकिन वला आंगी नुआ, गहना-गुड़िया पहिर सजल धजल अछि. ई देखि सीतापुर वाली के तामसे खौंट फेंकी देलक आ ओ सवित्रिक के मारै लेल दौगल. ई देखि दिलजान सेहो दौगल. तकरा बाद सितपुरवाली आ दिलजान के झगड़ा शुरू. फेर डमरू आबि कहुना झगड़ा छोरलक ई कही जे लगैऐ जे मालकिन के भूत ध लेलकै. भूत छोरेबाक बहन्ने डमरू, सीतापुर वाली के, दिलजान आ सवित्रिक अनैतिक संपर्क दिया कही दैत अछि.. ई सुनी प्रतिशोध करैत सीतापुर वाली बजैत हे रे डमरुआ हमर इहो भूत छोरा दे आ एही तरहे डमरू आ सितपुरवाली मे समबन्ध बनि गेल. अपन प्रेमिका सवित्रिक वियोग मे डमरू पसिखाना जायब शुरू क दैत अछि, ओतै पसिखानाक मैनेजरक बेटी लल्ली, डमरू सॅ प्रेम करब शुरू केलक. मुदा डमरूक मेन उदेश दिलजान सॅ सावित्री के छोरेनाइ रहे.
होइत होइत एक दिन सीतापुर वाली उलटी करब शुरू केलक त दिलजान पुछलक ई की? त ओ बजली जे हमरा सॅ पूछे हाई से एकरा नै बुझल जे उलटी कई ले होइ हाई..एतबाक सुनी दिलजान सितपुरवाली के मारै लेल दौगल आ बाजल आई तोहार जिनगी के फैसला काके रहबौ. एही बातक विरोध मे सितपुरवाली सेहो बन्दुक उठा लैत आ बजली हम्मर जिनगी के फैसला करै वला इ के हाई. एही ठाम नारी शशक्तिकरण के नीक चरितार्थ कयल गेल अछि. मिथिला मे स्त्रीक हाल त सब जनैते अछि जे पुरुखक दबेल मे जिनगी भरी नाचू आ शोक संताप सहैत रहू. फ़िल्मक अंत मे एम्हर सवित्रिक पेट मे दिलजान आ सीतापुर वालिक पेट मे डमरूक बच्चा. दिलजान, डमरू के जान सं मारबाक षड़यंत्र केलक मुदा कोनो तरहे डमरू बांचि गेल. तकरा बाद फेर दिलजान सावित्री के साफ़ करबाक नियर केलक आ अंत मे डमरू आबि सावित्री के बचा लैत अछि आ दिलजान- डमरू मे मार धार एक्शन. सब किछु जनइतो डमरू दिलजान के क्षमादान दैत सवित्रिक के अपना लैत अछि.
सब किछु देखैत, डमरू उस्ताद नीक फिल्म अछि. गीत-संगीत, एक्शन मार-धार, कॉमेडी माने एकटा सम्पूर्ण मौलिक मैथिलि फिल्म मुदा फिल्म मे मात्र ३ टा गीत होयब आ जमींदार एवं सितपुरवाली के भाषा शैली एक तरहे कमजोर पटकथा के दर्शाबैत अछि. ओहिना जेना मैथिलि फिल्म उद्योग के गीतकार आ की पटकथा के कोनो बेसी बेगरता नहि होयत छैक तहिना.
मैथिलि फिल्म- डमरू उस्ताद
फिल्म समीक्षक- किशन कारीगर
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