करुणा निधान
करुणा निधान
हे दयावान,
सुखसागर हे बनवारी
करूँ विनती आज तिहारी।
दुख हरो नाथ
सिर धरो हाथ
आये हम शरण तुम्हारी
करूँ विनती आज तिहारी।।
है नाव भंवर
करो पार प्रवर
सूझे न डगर हमारी
दुख हरो नाथ गिरधारी
करूँ विनती आज तिहारी।
विन्ध्य प्रकाश मिश्र विप्र