करवा चौथ
#करवाचौथ सुकून भरा महिला की जिंदगी मैं आया हुआ वह दिन जब प्रिय पति की नजरों मैं उपाशीका हूं क्योंकि मैं दिन भर से भूखी हूं प्यासी हूं सिर्फ इसीलिए के पति की उम्र लंबी हो जाए सिर्फ इसीलिए कि हर रोज जिंदगी भर हर ढलती हुई शाम के समय मैं इंतजार करूं लेकिन रात गहरा जाए और पति के अपने दोस्तों के साथ जाम पर जाम छलकते जाएं मैं भूखी हूं और प्यासी हूं हर शाम भी लेकिन मेरी याद नहीं आए और घर आती हुई रात पसरा हुआ सन्नाटा इंतजार भरी हुई बच्चों की आंखों में वह नींद पापा जल्दी आएंगे और कहीं ले जाएंगे और मैं चुपचाप तड़पती भूखी प्यासी आसपास के शादीशुदा महिलाओं की बनावटी बातें और कम उम्र की कुंवारी लड़कियों मन में उठते हुए विवाहित जीवन के लालायित सवालों और प्रेम प्रसंगों को देखते हुए समझते हुए भूखी प्यासी रात 11:00 बजे जैसे ही गाड़ी की आवाज है और मैं दरवाजे पर आई अपने ससुर से छुपते छुपाते हर रोज की तरह कि कहीं जाग ना जाए लेकिन ससुर जी का वह सोने का नाटक हर रोज की तरह बेटे के आने से करवट बदल कर सो जाना अचेत होकर पड़े रहना जैसे ही दरवाजा खोला वह झूलता हुआ शरीर जो अपने शरीर पर बैग वजन भी नहीं उठा पा रहा था जैसे तैसे चढ़ाव से ऊपर जाकर हाथ मुंह धो कर चेंज करके खाने की टेबल पर बिना खाने का पूछे खाने की तारीफ करते हुए 2,4 कसीदे, और बीच में मिलता हुआ प्रसाद ना बच्चों की चिंता ना पत्नी की ना माता-पिता की भिंडी और दाल की सब्जी कानों की सीमाओं को छूती हुई जैसे तैसे कसीदो के साथ खाना पूरा हुआ और छुट्टी हुई थाली में रोटी से अपना दाना पानी चुगने के बाद गहराती हुई रात, मैं सोच रही थी कि हर रात #करवाचौथ होती ना प्रताड़ना ना शराब खेलते हुए बच्चे चैन से सोए हुए पिताजी और सबसे पहला निवाला मेरा शायद दिन पलट जाए और हर दिन मेरी #करवाचौथ हो जाए.
लेख
स्वतंत्र विचारक
शिक्षक
उमेश बैरवा