करवा चौथ पर एक गीत
करवा चौथ का व्रत है आया।
अंतरा 1:
करवा चौथ का व्रत है आया,
सजी हूँ दुल्हन सी मैं,
चूड़ी, बिंदी, महकती साड़ी,
सज रही है धड़कन सी मैं।
तेरी लंबी उम्र की खातिर,
ये दिन मैंने चुना है,
चांद की तरह तू भी चमके,
ऐसी मन्नत मंगा है।
सहगान:
तू है मेरा जीवन साथी,
सदा रहे तू संग साया।
करवा चौथ का व्रत है आया,
सजी हूँ दुल्हन सी मैं।
अंतरा 2:
रात के आँचल में छिपा चंदा,
जब दिखेगा आसमान में,
तेरे चेहरे का नूर देखूं,
इसी झरोखे की छांव में।
तू ही मेरा प्यार है सच्चा,
तेरे बिना मैं अधूरी,
तेरे नाम की मेहंदी रचकर,
मन में बसी है तुझसे दूरी।
सहगान:
सपनों में रंगीन दुनिया,
तेरे संग सजी रहे माया।
करवा चौथ का व्रत है आया,
सजी हूँ दुल्हन सी मैं।
इस गीत में करवा चौथ की पवित्रता और पति-पत्नी के रिश्ते की गहराई को दर्शाने की कोशिश की गई है।
कलम घिसाई