करवाचौथ
यत्र व तत्र
प्रेम शांति अमृत
सती सावित्री
नारी वो नारी
जगत की जननी
सत नमन
युग का दुःख
ह्रदय मे लुप्त
कुसुम तुम
पति अभी भी
परमेश्वर रहा
कलयुग मे !
अर्धांगिनी भी
अन्नपूर्णा देवी भी
दया ही दया
यत्र व तत्र
प्रेम शांति अमृत
सती सावित्री
नारी वो नारी
जगत की जननी
सत नमन
युग का दुःख
ह्रदय मे लुप्त
कुसुम तुम
पति अभी भी
परमेश्वर रहा
कलयुग मे !
अर्धांगिनी भी
अन्नपूर्णा देवी भी
दया ही दया