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8 Oct 2017 · 1 min read

करवाचौथ (त्रिपदीय मुक्तक)

“करवाचौथ” (त्रिपदीय मुक्तक)

“करवाचौथ”

सजन की प्रीत का त्योहार करवाचौथ आया है।
उतर कर आसमाँ से चाँद ने मुझको सजाया है।
पहन कंगन लगा बिंदी सजालूँ माँग में सपने-
बसा कर नैंन प्रीतम ने मुझे दर्पण दिखाया है।

बनाऊँ गुलगुले मीठे रखूँ फल साधना सुंदर।
सजाऊँ थाल में करवा धरूँ मन भावना सुंदर।
रहूँ निर्जल करूँ उपवास तेरी उम्र के खातिर-
बदल कर गौर से करवा करूँ शुभकामना सुंदर।

सुहागिन मैं सदा तेरी रहूँ माँ को मनाऊँगी।
निरख कर रूप छलनी से गगन चंदा निहारूँगी।
लिए वादा जनम फिर साथ का व्रत धारणा लेकर-
सजन के हाथ जल पीकर सफल जीवन बनाऊँगी।

डॉ. रजनी अग्रवाल”वाग्देवी रत्ना”
संपादिका-साहित्य धरोहर
महमूरगंज,वाराणसी(9839664017)

Language: Hindi
370 Views
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