* करते कपट फरेब *
* मुक्तक *
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करते कपट फरेब, लोग पैसे की खातिर।
दिखता केवल स्वार्थ, उन्हें हर बात में आखिर।
कर देते बर्बाद, जिन्दगी मासूमों की।
और कष्टों के मेघ, हमेशा बरसाते फिर।
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मत करना विश्वास, सहजता से लोगों पर।
कर देते हैं घात, दोस्त भी भोले बनकर।
पछताते हैं खूब, हमें होता जब धोखा।
मत बहना हर वक्त, भावनाओं में भर भर।
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छल फरेब की बात, कभी भूले मत करना।
बनकर प्यारे दोस्त, हमेशा सँग है रहना।
तजकर सारे स्वार्थ, कभी देना मत धोखा।
जीवन में सब कष्ट, हमें मिल जुल है सहना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १२/१०/२०२३