कम नहीं गम मेरे ____घनाक्षरी
कम नहीं गम मेरे सितम बहुत सहे।
रहे नहीं कुछ बाकी अब जाने दीजिए ।।
परिश्रम करता हूं अपना लगाके दम।
पेट तब भरता हूं अब खाने दीजिए।।
किसान जो ठहरा परेशान मत कीजिए ।
दाम मेरी फसलों का अब आने दीजिए।।
मौसम कैसा ही रहे कहे कोई कुछ कहे।
मुझे भी तो सुख मिले अब आने दीजिए।।
राजेश व्यास अनुनय
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खेत पे ही दिन गुजरे रात भी हो जाती है।
मेहनत का फल मुझे मिलना ही चाहिए।।
बरखा भिगाएं कभी शरद की शीत रातें।
सौगातें तो मुझको भी मिलना ही चाहिए।।
उगाता हूं अन्न धान गुम काहे पहचान।
सबके जैसा सम्मान मिलना ही चाहिए।।
मेहनत का ही मेहनताना मांग रहा मैं।
हक मेरा मुझको भी मिलना ही चाहिए।।
राजेश व्यास अनुनय