- भूतकाल में जिसने मुझे ठुकराया वर्तमान में मेरी देख सफलता दौड़ी दौड़ी आ गई -
वो नसीबों का सिकन्दर हो न हो ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
छोड़ने वाले तो एक क्षण में छोड़ जाते हैं।
आप पाएंगे सफलता प्यार से।
जब मैं मर जाऊं तो कफ़न के जगह किताबों में लपेट देना
जीवन में प्रेम और ध्यान को मित्र बनाएं तभी आप सत्य से परिचित
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
बात दिल में हो तेरे तो भी,
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
राजनीति और समाज सेवा अलग अलग हैं?
ज़िंदगी कुछ आसान बना लूंगा इस अंदाज़ से,
पर हर दर्द की दवा कहाँ मिलती है....
धन, दौलत, यशगान में, समझा जिसे अमीर।
मैंने मोहब्बत को बड़ी ही शिद्दत से निभाया