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19 Nov 2022 · 1 min read

*कभी नेताजी इस दल में, कभी नेताजी उस दल में (मुक्तक)*

कभी नेताजी इस दल में, कभी नेताजी उस दल में (मुक्तक)
_________________________
कभी नेताजी इस दल में, कभी नेताजी उस दल में
हमेशा रहते दलदल में, चतुर चालाक छल-बल में
ये बेपेंदी के लोटे या, लुढ़कते थाल के बैंगन
इन्हें आता है गिरगिट-सा, बदलना रंग पल-पल में
—————————————-
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
1 Like · 143 Views
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