कभी दिखाएँ आँख
कभी दिखाएँ आँख वो, कभी फुलाएँ गाल ।
सच ने उनसे कर लिया, जब भी उचित सवाल ।।
लगे भले ही देर कुछ,होना मत भयभीत ।
होती निश्चित एक दिन,सच्चाई की जीत ।।
जब सच्चाई के लिए, किया सत्य को पेश।
हुआ वहीँ बेआबरू , सचमुच सत
रमेश शर्मा
कभी दिखाएँ आँख वो, कभी फुलाएँ गाल ।
सच ने उनसे कर लिया, जब भी उचित सवाल ।।
लगे भले ही देर कुछ,होना मत भयभीत ।
होती निश्चित एक दिन,सच्चाई की जीत ।।
जब सच्चाई के लिए, किया सत्य को पेश।
हुआ वहीँ बेआबरू , सचमुच सत
रमेश शर्मा