कभी खुद से खोये
कभी खुद मे खोये कभी खुद से बिछड़े
यूं भी बेचैन रहे हैं नजारों मे आकर
कह दो जला जायें वो चराग-ए-मुहब्बत
रूह सोयी नहीं है मजारों में आकर
MaheshTiwari”Ayan”
कभी खुद मे खोये कभी खुद से बिछड़े
यूं भी बेचैन रहे हैं नजारों मे आकर
कह दो जला जायें वो चराग-ए-मुहब्बत
रूह सोयी नहीं है मजारों में आकर
MaheshTiwari”Ayan”