कभी ख़ुशी कभी ग़म
बरसता है, फिर ज़्यादा बरस जाता है ,
कभी कोई चंद बूँदों को तरस जाता है ।
किसी को दूसरों से फुर्सत नहीं मिलती ,
किसी का वक़्त अपने में ठहर जाता है।
चाँद सितारे आसमाँ कभी साथ चलते हैं
कभी पथरीली राह, कदम ठहर जाता है l
ज़िंदगी लुत्फ़ है , कभी दिल्लगी भी ,
कभी अंदाज ए ज़िंदगी सहम जाता है ll
डा राजीव “सागरी”