कभी क्यो दिल जलाते हो मेरा
कभी क्यो दिल जलाते हो तुम मेरा,
कभी क्यो दिल बुझाते हो तुम मेरा।
बार बार करते रहते हो हमेशा तुम ऐसा,
जब तक दिल राख न हो जाए ये मेरा।।
कभी सूलो की तरह चुभाते हो इसे।
कभी फूलो की तरह महकाते हो इसे।
क्यो करते रहते हो तुम ये हमेशा,
क्यो दिल को ऐसे सताते हो तुम इसे।।
अब तो दिल भी धोखा देने लगा है,
कहता कुछ है करने कुछ लगा है।
जिसको दिल दिया था कभी मैने,
उसका गलत इस्तेमाल करने लगा है।।
दिल देकर पछतावा हो रहा अब मुझे,
मांगती हूं दिल वापिस करता नही मुझे।
करूं तो करू इन हालातो में अब मै,
दिल मसोस कर रह जाना पड़ता है मुझे।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम