कभी कभी अपने आप को पढ़ना!
मनुष्य को कभी कभी अपने आप को भी पढ़ना चाहिए। क्योंकि उससे मनुष्य को अपनी की हुई गलतीयो का पता चल जाएगा। और उनमें सुधार भी होने लगेगा। लेकिन सवाल है कि वह पढ़ेगा कैसे? वह किसी भी सुनसान जगह पर जा कर ध्यान लगायेगा। और फिर अपना आत्म निरीक्षण करेगा।वह पूरी तरह से मन को शांत करेगा।यह क्रिया ध्यान योग पर आधारित है।जब मनुष्य अपने आपको जान लेयगा तो,वह अपनी एक सीमा निश्चित कर लेयगा। और फिर उसी के अनुसार अपना कार्य करने लगेगा।मन पर उसका नियंत्रण होने लगता है। क्यों कि मनुष्य का मन बहुत चंचल होता है।वह बगैर शक्ति के काबू में नहीं आता है। और मनुष्य को सोचने, समझने की शक्ति उत्पन्न हो जाती है।इस क्रिया का नाम है आत्म मंथन करना।जब मनुष्य अपना आत्म मंथन करेगा, तो तीसरी शक्ति उत्पन्न होगी। मनुष्य ज्यादातर दूसरे के बारे में सोचता है।वह कभी अपनी क्षमता का आंकलन नही करता है।कि मैं क्या कर सकता हूं।