कब से आस लगाए बैठे हैं तेरे आने की
कब से आस लगाए बैठे हैं तेरे आने की,
क्या जरूरत है तुम्हें किसी बहाने की।
दिल में ही रहो हमेशा के लिए अब तो,
क्यों ख्वाइश है तुम्हें बाहर जाने की।
हम तो तुम्हारे है, तुम्हारे ही रहेंगे हमेशा,
खाई है कसम हमने साथ निभाने की।
चाहते हैं तुम्हें हम बिना किसी उम्मीद के,
फिर तुमने क्या लगाई है ये जिद हमको आजमाने की।
मेरी दुनिया हो तुम ये जानते हो तुम अच्छे से,
हसरत नहीं है अब तो कहीं और दिल लगाने की।