कब पूरे होतें है यारों
कब पूरे होतें यारो, दुनिया में किसके सपने।
एक विपद के आगे ही सब,चूर चूर होते सपने।।
साथी बहुत मिलेंगे पथ में,
साथ निभाते हैं कितने ।
बीच भंवर में साथ छोड़ते,
रिश्तों में लगते अपने।
कब पूरे होते हैं यारो—–
बना कारवां टूट रहा है।
संगी -साथी छूट रहा है।
आग लगाकर अब घर में ही ,
अपने हाथ सेंकते अपने।
कब पूरे होते हैं यारों—++++
दिल के मंदिर में वीरानी,
ये ही सबकी राय कहानी।
हालातों को देख देखकर,
लोग रहे हैं नित हंसने।।
कब पूरे होते हैं यारों———–
बेटा बहू विदेश गये हैं,
हाथ -पांव अब शिथिल भरे हैं।
घर में दो बूढ़ी सांसें हैं।
सांस तोड़ती सब आसें हैं।
जग का यह दस्तूर निराला,
छोड़ दिया है अब मरने।
कब पूरे होते हैं यारों—-++