Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Mar 2021 · 1 min read

कब पूरे होतें है यारों

कब पूरे होतें यारो, दुनिया में किसके सपने।
एक विपद के आगे ही सब,चूर चूर होते सपने।।
साथी बहुत मिलेंगे पथ में,
साथ निभाते हैं कितने ‌।
बीच भंवर में साथ छोड़ते,
रिश्तों में लगते अपने।
कब पूरे होते हैं यारो—–
बना कारवां टूट रहा है।
संगी -साथी छूट रहा है।
आग लगाकर अब घर में ही ,
अपने हाथ सेंकते अपने।
कब पूरे होते हैं यारों—++++
दिल के मंदिर में वीरानी,
ये ही सबकी राय कहानी।
हालातों को देख देखकर,
लोग रहे हैं नित हंसने।।
कब पूरे होते हैं यारों———–

बेटा बहू विदेश गये हैं,
हाथ -पांव अब शिथिल भरे हैं।
घर में दो बूढ़ी सांसें हैं।
सांस तोड़ती सब आसें हैं।
जग का यह दस्तूर निराला,
छोड़ दिया है अब मरने।
कब पूरे होते हैं यारों—-++

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 302 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
मैं भी अपनी नींद लुटाऊं
करन ''केसरा''
आ जाओ गणराज
आ जाओ गणराज
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*गरमी का मौसम बुरा, खाना तनिक न धूप (कुंडलिया)*
*गरमी का मौसम बुरा, खाना तनिक न धूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
ज़िंदगी हमें हर पल सबक नए सिखाती है
Sonam Puneet Dubey
आया उत्सव तीज का,मस्ती है चहुँ ओर
आया उत्सव तीज का,मस्ती है चहुँ ओर
Dr Archana Gupta
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
श्री कृष्ण भजन
श्री कृष्ण भजन
Khaimsingh Saini
3749.💐 *पूर्णिका* 💐
3749.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
एक वृक्ष जिसे काट दो
एक वृक्ष जिसे काट दो
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Live in Present
Live in Present
Satbir Singh Sidhu
दवाखाना  से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
दवाखाना से अब कुछ भी नहीं होता मालिक....
सिद्धार्थ गोरखपुरी
चाहतें
चाहतें
Dr.Pratibha Prakash
वसंत की बहार।
वसंत की बहार।
Anil Mishra Prahari
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
'नव कुंडलिया 'राज' छंद' में रमेशराज के व्यवस्था-विरोध के गीत
कवि रमेशराज
#छोटी_कविता *(बड़ी सोच के साथ)*
#छोटी_कविता *(बड़ी सोच के साथ)*
*प्रणय प्रभात*
दोस्तों !
दोस्तों !
Raju Gajbhiye
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
अ'ज़ीम शायर उबैदुल्ला अलीम
Shyam Sundar Subramanian
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
एहसास कभी ख़त्म नही होते ,
शेखर सिंह
बंद आँखें भी मोतियों को बड़े नाजों से पाला करते थे,
बंद आँखें भी मोतियों को बड़े नाजों से पाला करते थे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
Jitendra Chhonkar
उम्र बीत गई
उम्र बीत गई
Chitra Bisht
बाबुल
बाबुल
Neeraj Agarwal
जीत हार का देख लो, बदला आज प्रकार।
जीत हार का देख लो, बदला आज प्रकार।
Arvind trivedi
सरस्वती वंदना-3
सरस्वती वंदना-3
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
गिद्ध करते हैं सिद्ध
गिद्ध करते हैं सिद्ध
Anil Kumar Mishra
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
ज़िंदगी चाहती है जाने क्या
Shweta Soni
विवाह समारोहों में सूक्ष्मता से की गई रिसर्च का रिज़ल्ट*
विवाह समारोहों में सूक्ष्मता से की गई रिसर्च का रिज़ल्ट*
Rituraj shivem verma
"माता-पिता"
Dr. Kishan tandon kranti
बाबा केदारनाथ जी
बाबा केदारनाथ जी
Bodhisatva kastooriya
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
Loading...