कब टोपी का रंग बदल लें
कब अपने बोल बदलें कब ये अपना ढंग बदल लें
नेताओं का क्या भरोसा कब टोपी का रंग बदल लें
ये तो हैं उंट की तरह पता नहीं किस करवट पे बैठें
कब किस पाले मे जा बैठें कब ये अपना संग बदल लें
फेकम फांक वादे करके कब अपनी कथनी से मुकरें
ये स्वयं हितकारी प्राणी कब गिरगिट सा रंग बदल लें