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26 Jul 2024 · 1 min read

कब आओगे?

कब आओगे?

हाय बताओं प्राण!यहाँ कब आओगे?
होता यह निष्प्राण,नहीं क्या आओगे??

क्या जाओगे भूल,जरा बतलाओगे ?
कुछ तो सुन फ़रियाद,बहुत कुछ पाओगे।।

मेरे प्यारे नाथ,नहीँ तड़पाना रे।
दया करो हे मीत,नहीँ तरसाना रे।।

व्याकुल हृदय उदास,तुम्हारा कायल है।
बिना तुम्हारे देह,बहुत यह घायल है।।

इसका नहीँ ठिकान,एक तुम केवल हो।
तोड़ो मत विश्वास,सिर्फ प्रिय संबल हो।।

कर मत चकनाचूर,इसे प्रिय! जीने दो।
आ कर दे मदहोश,जरा मय पीने दो।।

अति प्रिय मेरी आस,तुम्ही तो धड़कन हो।
करना नहीं निराश,परम शिव मन हो।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

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